जानें क्या है ऐस्ट्राफोबिया, बच्चों को क्यों होता है ये रोग

जानें क्या है ऐस्ट्राफोबिया, बच्चों को क्यों होता है ये रोग

सेहतराग टीम

शारीरिक रोग अक्सर हम दवा लेकर ठीक कर लेते हैं। लेकिन मानसिक रोग एक ऐसी बीमारी है जो अक्सर हमें काफी परेशान करती है। मानसिक रोग होने पर व्यक्ति आकाशीय बिजली की चमक, बादल की गरज और आंधी तूफान जैसी चीजों से डरने लगता है। इस दौरान वह अजीब हरकतें करने लगता है। मानो उसके साथ कुछ बुरा हो रहा है। इससे वह बचने की कोशिश करता है। कई बार तो व्यक्ति खुद को कमरे में बंद कर लेता है और अपने कानों को उंगली से बंद कर लेता है और इस रोग को ऐस्ट्राफोबिया कहा जाता है।

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अगर मौसम कुछ घंटों तक खराब रहता है तो व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति भी खराब होने लगती है। व्यक्ति डर से चीखने और चिल्लाने लगता है। जबकि कई मौकों पर रोने भी लगता है। डर से उस व्यक्ति का पूरा बदन कांपता रहता है। आमतौर पर यह बीमारी बच्चों में अधिक होती है। अगर इसका उपचार नहीं किया जाता है तो यह अवसाद का रूप ले लेता है। आइए, ऐस्ट्राफोबिया के बारे में विस्तार से जानते हैं-

ऐस्ट्राफोबिया क्या है (What is Astrophobia in Hindi):

यह ग्रीक भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है। इसमें ऐस्ट्रा अर्थात आकाशीय बिजली की चमक और फोबिया अर्थात डर है। इस बीमारी में बच्चे और बड़े आकाशीय घटना से डरते हैं। बच्चे तो जोर-जोर से चीखने और रोने लगते हैं। 

ऐस्ट्राफोबिया के लक्षण (Symptoms of Astrophobia in Hindi):

पसीना आना, थरथराना, चीखना, रोना, चक्कर आना, डरा हुआ महसूस करना, हृदयगति तेज़ चलना आदि है। अगर व्यक्ति अकेला है तो यह काफी खतरनाक हो जाता है। इससे बचने के लिए व्यक्ति उस जगह पर छिप जाता है, जहां वह खुद को सुरक्षित महसूस करता है। कई बार व्यक्ति बिस्तर में छिप जाता है।

ऐस्ट्राफोबिया के उपचार (Treatment of Astrophobia in Hindi):

इसके लिए मनोविज्ञान का सहारा लेना पड़ सकता है। चूंकि यह एक अवसाद रोग है। इसलिए ऐस्ट्राफोबिया का उपचार मनोवैज्ञानिक ही करते हैं। इसका इलाज कॉग्निटिव बिहेवियर थेरेपी के जरिए किया जाता है। इस थेरेपी में व्यक्ति को आकाशीय घटना के समय कैसा लगता है और उसे उस समय क्या करना चाहिए। इस बारे में बताया जाता है। कठिन अभ्यास के बाद इस फोबिया से मुक्ति मिल जाती है।

 

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